नगर पालिका चुनाव: कवर्धा में भाजपा का अति आत्मविश्वास, कांग्रेस की बढ़ती पकड़ से बढ़ी टेंशन

कवर्धा. नगर पालिका परिषद चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है, लेकिन जमीनी हकीकत भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण होती दिख रही है। शहर के 27 वार्डों में भाजपा 15 से 17 वार्डों में जीत का दावा कर रही है, जबकि कांग्रेस 10 से 12 वार्डों में बढ़त मिलने का अनुमान जता रही है। हालांकि, स्थानीय समीकरणों और जनता के असंतोष को देखते हुए भाजपा के दावे खोखले नजर आ रहे हैं।
भाजपा की चुनौतियाँ
1. स्थानीय स्तर पर असंतोष: भाजपा शासित नगर पालिका क्षेत्र में कई विकास कार्य अधूरे पड़े हैं। जल संकट, सड़कें जर्जर होने और सफाई व्यवस्था चरमराने जैसी समस्याओं को लेकर जनता में आक्रोश है।
2. महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा: केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा की सरकार होने के बावजूद महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं पर कोई ठोस समाधान नहीं निकला। इससे आम जनता में नाराजगी दिख रही है।
3. गुटबाजी और असंतोष: स्थानीय स्तर पर भाजपा नेताओं में आपसी खींचतान और गुटबाजी भी चुनावी गणित को प्रभावित कर रही है। कई वार्डों में असंतुष्ट कार्यकर्ता भीतरघात कर सकते हैं।
कांग्रेस को मिल रहा जनसमर्थन
कांग्रेस ने अपने प्रचार अभियान को मजबूती दी है और जनता के मुद्दों को केंद्र में रखा है। स्थानीय स्तर पर कांग्रेस के प्रत्याशियों की मजबूत पकड़ और भाजपा विरोधी लहर का फायदा उसे मिल सकता है।
*भाजपा का अति आत्मविश्वास पड़ सकता है भारी*
भाजपा नगर चुनाव को भी अपनी जीत की परंपरा बनाए रखने के तौर पर देख रही है, लेकिन उसका यह अति आत्मविश्वास ही उसे नुकसान पहुंचा सकता है। मतदाता मौन हैं, और इस बार परिणाम भाजपा के दावों के उलट भी जा सकते हैं।
9 फरवरी की शाम को प्रचार थम जाएगा, लेकिन क्या भाजपा अपनी रणनीति से जनता का भरोसा जीत पाएगी, यह बड़ा सवाल बना हुआ है।