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ग्राम खैरडोंगरी में अवैध करंट से भैंस की मौत, किसान की मेहनत पर आघात

कवर्धा खैरडोंगरी,   ग्राम खैरडोंगरी में एक दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने पूरे गाँव को झकझोर कर रख दिया। पशुपालक उमेंद परस्ते, पिता इतवार परस्ते, जिनके पास 8 भैंसें थीं, को उस समय गहरा आघात लगा जब उनकी एक भैंस की मौत हो गई। यह हादसा ग्राम के ही शिरोमणि स्वराज ठाकुर और रोहित ठाकुर के खेत में लगाए गए अवैध करंट युक्त तार की चपेट में आने से हुआ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, उमेंद परस्ते अपनी भैंसों को चराने के लिए निकले थे, जब यह हादसा हुआ। खेत में बिना किसी चेतावनी या सुरक्षा उपाय के लगाए गए करंट युक्त तार ने भैंस की जान ले ली। यह घटना न केवल एक पशु की मृत्यु है, बल्कि एक मेहनती किसान की आजीविका और उसकी मेहनत पर गहरा प्रहार है। उमेंद के लिए उनकी भैंसें सिर्फ पशु नहीं, बल्कि परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालने का आधार थीं।

लापरवाही का गंभीर परिणाम
स्थानीय लोगों का कहना है कि खेत में अवैध रूप से करंट युक्त तार लगाना एक गैरकानूनी और खतरनाक कदम था। इस तरह की लापरवाही न केवल पशुओं, बल्कि इंसानों के लिए भी जानलेवा साबित हो सकती है। गाँव वालों ने आरोप लगाया कि शिरोमणि बाई, स्वराज ठाकुर और रोहित ठाकुर ने अपने खेत की सुरक्षा के नाम पर यह जोखिम भरा कदम उठाया, जिसका खामियाजा उमेंद परस्ते को भुगतना पड़ा।

प्रशासन से कार्रवाई की मांग
इस घटना के बाद गाँव में आक्रोश फैल गया है। पीड़ित परिवार और ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों—शिरोमणि बाई, स्वराज ठाकुर और रोहित ठाकुर—के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही, उमेंद परस्ते को उनकी क्षति की भरपाई के लिए उचित मुआवजा प्रदान किया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ा सबक सिखाना जरूरी है, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो।

न्याय की आस
उमेंद परस्ते और उनके परिवार के लिए यह हादसा एक बड़ा झटका है, लेकिन उनकी उम्मीदें अब भी प्रशासन से टिकी हैं। गाँव के लोग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि यह मामला सिर्फ एक भैंस की मौत का नहीं, बल्कि एक मेहनती किसान के सम्मान और उसकी आजीविका की रक्षा का है। प्रशासन की ओर से त्वरित और प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत है, ताकि पीड़ित को न्याय मिले और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों और जागरूकता की कमी को उजागर किया है। अब सबकी निगाहें प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।

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