कवर्धा में 119वें सालाना उर्स की धूम: तैयारियों में जुटी दरगाह कमेटी

कवर्धा, कवर्धा शहर में स्थित सूफ़ी संत हजरत बाबा महबूब शाह दातार रहमतुल्लाह अलैह की मजार पर 119वें सालाना उर्स की तैयारी शुरू हो चुकी है। हर साल की तरह इस वर्ष भी उर्स के आयोजन के लिए दरगाह कमेटी ने व्यापक तैयारी शुरू कर दी है, ताकि यह धार्मिक आयोजन बड़े धूमधाम से संपन्न हो सके।
उर्स का ऐतिहासिक महत्व
कवर्धा के गुप्ता मोहल्ला में स्थित बाबा महबूब शाह दातार की मजार एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहाँ हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह मजार हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के बीच भाईचारे का प्रतीक है, और यहाँ पर आयोजित होने वाला उर्स पूरे क्षेत्र में धार्मिक सद्भाव का संदेश देता है। बाबा महबूब शाह दातार की दरगाह का उर्स पिछले 119 वर्षों से मनाया जा रहा है और यह इलाके में एक अहम धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन बन चुका है।
दरगाह की सजावट और तैयारियां
दरगाह कमेटी के अध्यक्ष इकराम खान ने जानकारी दी कि इस साल उर्स के अवसर पर दरगाह की सजावट पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। दरगाह के गुम्बद और कलश का रंग-रोगन किया जा रहा है ताकि यह और भी आकर्षक दिखे। साथ ही, मजार को कच्चे फूलों से सजाया जाएगा, और कृत्रिम फूलों का भी उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, पूरे दरगाह परिसर को लाईट झालरों से सजाया जाएगा, जिससे रात में यह और भी सुंदर और रौशन दिखाई देगी। इन सजावटों के कारण, ऐसा प्रतीत होगा जैसे भारत की प्रसिद्ध दरगाह, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार की झलक कवर्धा में देखने को मिल रही हो।
28 जनवरी को मिलादे मुस्तफा और शाही संदल चादर का आयोजन
इस बार उर्स के आयोजन की शुरुआत 28 जनवरी को मिलादे मुस्तफा के साथ होगी, जो कवर्धा की जामा मस्जिद में रखा जाएगा। इस मौके पर मुस्लिम समाज के लोग अपनी श्रद्धा और प्रेम के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। 29 जनवरी को जामा मस्जिद से शाही संदल चादर का जुलूस निकाला जाएगा, जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल होंगे। इस जुलूस के दौरान मुस्लिम समाज के लोग अपनी श्रद्धा और अकीदत के साथ बाबा महबूब शाह दातार की मजार की ओर रुख करेंगे।
नतिया मुशायरा और आम लंगर
जुलूस के बाद, दरगाह में एक विशाल आम लंगर प्रशाद का आयोजन किया जाएगा, जो पूरी तरह शाकाहारी होगा। इस लंगर में सभी धर्मों के लोग शामिल हो सकेंगे, और उन्हें शुद्ध, ताजे और स्वादिष्ट भोजन का वितरण किया जाएगा। इस लंगर की विशेषता यह होगी कि इसे हर धर्म के अनुयायी एक साथ बैठकर ग्रहण करेंगे, जो देश में भाईचारे और धार्मिक एकता का संदेश देता है।
इसके साथ ही, छत्तीसगढ़ के मशहूर नतिया मुशायरा “चिश्तीयां ग्रुप” रायपुर के नात-ख्वान भी इस आयोजन में शिरकत करेंगे। उनकी आवाज़ में श्रद्धा और भक्ति से ओत-प्रोत नातों का सुनना एक अलग ही अनुभव होगा, जो उर्स के धार्मिक माहौल को और भी पवित्र बना देगा।
शांति व्यवस्था और प्रशासन से सहयोग की अपील
दरगाह कमेटी के अध्यक्ष इकराम खान ने अपील की है कि उर्स के इस भव्य आयोजन को शांति और भाईचारे के साथ मनाया जाए। प्रशासन से भी शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सहयोग मांगा गया है, ताकि कोई भी अप्रिय घटना न हो। उन्होंने सभी समाज के प्रमुखों से यह भी अपील की कि वे कार्यक्रम को शांतिपूर्वक और संयम से मनाने की कोशिश करें, जिससे इस धार्मिक उत्सव का आनंद सभी श्रद्धालु मिलकर ले सकें।
शहर और बाहरी क्षेत्रों से आने वाली भीड़
उर्स के दिन कवर्धा शहर में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ता है। सिर्फ कवर्धा ही नहीं, बल्कि आसपास के इलाकों और दूर-दूर से लोग इस धार्मिक अवसर पर शामिल होने आते हैं। यह आयोजन ना सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र में सामाजिक और सांस्कृतिक सद्भाव का भी प्रतीक है।
कवर्धा में हजरत बाबा महबूब शाह दातार रहमतुल्लाह अलैह का उर्स इस बार 119वीं बार मनाया जाएगा, और इस आयोजन में हर कोई हिस्सा लेने के लिए तैयार है। दरगाह की सजावट, लंगर का आयोजन, नात-ख्वान की महफिल, और शाही संदल चादर का जुलूस, सभी मिलकर इस उर्स को एक ऐतिहासिक और अविस्मरणीय घटना बना देंगे। यह आयोजन ना सिर्फ धार्मिक मान्यताओं को साकार करता है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के बीच भाईचारे और एकता का प्रतीक भी है।