घोटिया रोड पर विकास की आड़ में विध्वंस:
बिना नोटिस गरीबों के घरों पर चला बुलडोजर, कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल

कवर्धा (घोटिया रोड): विकास के नाम पर प्रशासन ने इंसानियत को रौंद दिया। कवर्धा के घोटिया रोड पर सड़क चौड़ीकरण की योजना के तहत नगरपालिका एवं पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना अथवा नोटिस के लोगों के घरों पर बुलडोजर चला दिया गया। जिनके घर तोड़े गए, वे गरीब, मेहनतकश लोग थे, जिनके मकान निजी ज़मीन पर वैध रूप से नगरपालिका शुल्क देकर बनाए गए थे।
20 फीट से बढ़ाकर 25- 30 फीट: रातों-रात बदली योजना
कुछ ही दिन पहले कलेक्टर महोदय ने स्वयं घोटिया रोड पर 20-20 फीट चौड़ीकरण की सीमा तय की थी, जिसकी जानकारी लोगों को दी गई थी। मगर अचानक रातों-रात यह सीमा 25 से 30 फीट तक बढ़ा दी गई, और सुबह होते ही बिना किसी चेतावनी के JCB मशीनें घरों पर चढ़ा दी गईं। लोगों का कहना है कि “जब तय योजना 20 फीट थी, तो 25- 30 फीट तक तोड़फोड़ का अधिकार किसे दिया गया?”
न मुआवज़ा, न सूचना, बस तबाही
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि ना तो उन्हें कोई लिखित सूचना दी गई, न मुआवज़े का कोई आश्वासन मिला। पीड़ितों का कहना है कि यह तो बहुत गलत है और न्याय संगत तो बिलकुल भी नहीं है हमारे घर तोड़ दिए जा रहे है हमें बिना किसी लिखित सूचना के एवं बिना किसी मुआवजा के ऐसा कार्यवाही करना गलत है।
तालिबानी रवैया:
कवर्धा के घोटिया रोड की तस्वीरें बना रहीं हैं ईरान-तालिबान का दृश्य
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार ने जिस डबल इंजन की बात की थी, वही इंजन अब गरीबों के सपनों पर चढ़ा दिया गया है। नागरिकों का यह भी कहना है कि “हमने सरकार को इस विश्वास से चुना था कि वो हमारे हित में काम करेगी, लेकिन आज हमारे ही आंसुओं से ये सड़कें तर हो रही हैं।”
कानूनी प्रक्रिया की धज्जियाँ
भारतीय संविधान और सुप्रीम कोर्ट के अनेक निर्णयों के अनुसार किसी भी अतिक्रमण या अधिग्रहण के लिए उचित नोटिस, सुनवाई का अवसर और वैध मुआवज़ा देना अनिवार्य है। लेकिन घोटिया रोड में इन सभी नियमों को नजरअंदाज कर दिया गया है।
कलेक्टर और डिप्टी मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन
पीड़ित परिवारों ने अपने-अपने नाम और दस्तावेज़ों के साथ कलेक्टर और उप-मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
नागरिक खुद तोड़ रहे हैं अपने सपनों का आशियाना
कुछ जागरूक और विवश नागरिकों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि जेसीबी के बेरहम प्रहार से बेहतर है कि वे खुद अपने मकान तोड़ दें, ताकि बाकी हिस्से और पड़ोसी मकान को नुकसान न पहुंचे।
पुल का विध्वंस, यातायात हुआ बाधित
घोटिया रोड का मुख्य पुल भी तोड़ दिया गया है, जिससे आवागमन ठप हो गया है और स्कूल, अस्पताल व दफ्तर जाने वालों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
यह मामला केवल सड़क चौड़ीकरण का नहीं, जनसंवेदना, पारदर्शिता और प्रशासनिक जवाबदेही का है। यदि विकास का अर्थ केवल तोड़फोड़ और आंसू है, तो वह किसी भी समाज के लिए कलंक है। प्रशासन को चाहिए कि तत्काल इस मामले में न्यायोचित कार्रवाई करे, मुआवज़ा सुनिश्चित करे और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।